प्राय पंडितो/ज्योतिषी से यह सुना होगा कि आपके लडके अथवा लडकी की कुंडली में मांगलिक दोष है अथवा रिश्ता करने से पूर्व कुंडली का मिलान किया जाता है और ज्योतिषी द्वारा बताया जाता है कि लड़का/लडकी मांगलिक है । कुंडली देखकर कैसे बतलाया जाता है कि कुंडली में मंगल दोष है ? मै आपको बतलाता हूँ की कैसे देखा जाता हे कुंडली में मंगल दोष-यदि लग्न कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम,अष्टम तथा द्वादश ( १,४,७,८,१२) भावो में मंगल उपस्थित होगा तो वह जातक मांगलिक कहलायेगा । एक लग्न कुंडली दी गई हे, उसमे जंहा- जंहा मंगल लिखा हे इन स्थानों में ही मंगल होने पर जातक मंगली होगा , फिर चाहे उन भावो ( खानो ) में कोई भी अंक अर्थात लग्न हो, कई ज्योतिषाचार्य ‘पगड़ी मंगल’ या ‘चुनरी मंगल’ कि बात करते है, मै अपने मित्रो को स्पस्ट बता दूँ कि ज्योतिष में कंही भी इस प्रकार के शब्दों का उल्लेख नहीं है, वास्तव में यह लोगो को समझाने के लिए है, कि प्रथम भाव में मंगल हो ओर वह पुरुष कि कुंडली हो तो ‘पगड़ी मंगल’ एंव स्त्री की कुंडली हो तो “चुनरी मंगल” कहते है, विवाह के समय कुंडली मिलान में मंगल दोष को विशेष रूप से देखा जाता है स लड़के-लड़की दोनों कि कुंडली में मांगलिक दोष हो या उनका शास्तोक्त परिहार हो, तो ही कुंडली का सही मिलान माना जाता है, मनुष्य के जीवन में मंगल विवाह में बाधा के आलावा कई प्रकार कि परेशानी पैदा करता है ।
मंगल दोष के परिणाम –
- प्रथम भाव अर्थात लग्नस्थ मंगल– जन्म लग्न स्वयं का प्रतिनिधित्व करता है । सप्तम भाव जीवन साथी का होता है ।सप्तम भाव के ठीक सामने होने से लग्न पति पत्नी के शुभाशुभ संबंधो यथा पारस्परिक प्रेम अथवा लडाई झगडा, मनमुटाव, घ़णा,ईर्ष्या आदि को दर्शाता है। इस भाव मे मंगल बैठकर जातक के रक्त् मे उष्णता व उग्रता को लाता है । मंगल की चतुर्थ द़ष्टि सुख भाव, सप्तम द़ष्टी सप्तम तथा अष्टम द़ष्टि अष्टम भाव पर पडती है ा अर्थात पति पत्नी के मध्य सुखो की कमी, ग़हस्थ सख मे टूटन एवं विरोध एवं पति या पत्नी के सौभाग्य/आयु के संबंध मे चिंता बनती है।
- निवारण/उपाय –सूर्य एवं चन्द्रमा की वस्तुओं का दान करें जैसे रविवार के दिन लाल कपडा, गेहूं, गुड, लाल चन्दन, लाल फूल, तांबे का कोई पात्र का दान तथा सोमवार के दिन सफेद कपडा, आटा, चावल,दुध, घी, शक्कर, चांदी, सफेद चन्दन, सफेद फूल का दान किसी गरीब ब्राहमण को करें ।
- मंगल चतुर्थ भाव मे हो तो– चतुर्थ अथवा सुख भाव मे बैठे मंगल की चुतुर्थ द़ष्टि ग़हस्थ सुख, भोग सुख, व्यापार , घोर उत्तेजना, ग़हस्थ सुख मे न्यूनता प्रदान करती है , वही उसकी सप्तम द़ष्टि व्यापार तथा राज्य एवं पिता पक्ष को हानि पहुंचाती है तो अष्टम द़ष्टि लाभ मे कमी करती है एवं रोग बढाती है ।
- निवारण/उपाय – विधवा स्त्रियों की सेवा करे। रेवडिया पानी मे बहायें । सोना, चांदी तांबा तीनो को मिलाकर अंगुठी पहने । दूध मे धोकर चावल 7 मंगलवार बहते पानी मे बहायें । माता का आशिर्वाद लें। चांदी के बर्तन में पानी पीयें या चांदी पांनी में उबाल कर पीयें।
- मंगल सप्तम तथा अष्टम भाव मे हो तो– मंगल सप्तम तथा अष्टम भाव मे बैठकर ग़हस्थ सुख मे कमी तो करता है साथ ही पति/पत्नी के सौभाग्य मे कमी भी करता है । ऐसा जातक घोर जिद्रदी आवेशी, क्रोधी, अति भोगी तथा कामी होता है । धन की कमी होती है, कुटुम्ब से तिरस्कार मिलता है ा पराक्रम मे कमी, भाई बहनो से विरोध मिलता है । पैत़क सम्पती का नाश होता है ।
- निवारण/उपाय – बहन/बुआ को लाल कपडे दे । चांदी की ठोस गोली अपने पास रखे । शनि को उपाय द्वारा उच्च का करे । आठ दिन तक लगातार आटे मे गुड डालकर उसकी रोटी बनाकर मिट्टी की कडेली ( तवे ) पर एक ही तरफ सिकी हुई कुत्तो को डाले । तीन धातु की अंगुठी पहने । चांदी की चैन या अन्य प्रकार से गले मे चांदी पहने । मंगलवार के दिन 9 रेवडिया या बतासे पानी मे बहाये ।
- मंगल द्वादश भाव मे हो तो – ऐसा जातक निरन्तर रोगी अर्थरहित लाभ का यथेष्ठ भाव अपव्यय करता है । भाई मिञ साथ छोड देते है । शैया सुख मे कमी पति पत्नी मे वैचारिक मतभेद ऐसा जातक अपने जीवन को स्वय नर्क बना लेता है ।
- निवारण/उपाय – मित्रों मे मिठाई बांटते रहे । मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर मे जाकर लोगो को लड्डू का प्रसाद बांटे । घर मे किसी प्रकार का बेकार हथियार न रखे । 12 दिन तक निरन्तर पानी मे गुड बहाये ।