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ओपल-रत्न

ओपल ओपल शुक्र ग्रह का उपरत्न है । चूंकि शुक्र का रत्न हीरा है और प्रत्येक व्यक्ति उसे धारण करने की क्षमता नही रखता, ऐसे में आम व्यक्तियों के लिए शुक्र का रत्न ओपल कम किमत पर प्राप्त होकर सरलता से मिल जाता है । जिन व्यक्तियों का जन्म मिथुन, कन्या, तुला, वृषभ, मकर तथा कुंभ लग्न में हुआ हो अथवा जन्म कुंडली में शुक्र शुभ भावों का स्वामी हो अथवा शुभ भावों में स्थित हो उसे ओपल पहनने से लाभ होता है । इसके विपरीत मेष, कर्क, सिंह, वृष्चिक, धनु तथा मीन लग्न हो और शुक्र जन्म कुंडली में छठवें तथा आठवें भाव में बैठा हो अथवा अपनी नीच राशि में स्थित हो, उसे ओपल पहनने से हानि हो सकती हैं ।
ओपल धारण करने से लाभ ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को असुरो के गुरू शुक्राचार्य माना गया है । यह भोग,शक्ति, ऐश्वर्य और कामेच्छा का प्रतिक है । जिन लोगो का बल, वीर्य, शुक्राणु एवं कामेच्छा कमजोर हो, सुस्त हों, ओपल धारण करने से उसमे अद्भुत शक्ति आ जाती है । ओपल रत्न गृहस्थ जीवन सुखमय बनाने में मदद करता है । जो लोग स्त्री सुख, सौन्दर्य, सुगंधित पदार्थ, कला-कौशल, आभूषण, शेयर का व्यापार, कामवासना, वाहन सुख, विवाह, प्रेम, कला, ग्लेैमर, कवि, अभिनेता, अभिनेत्री, बेडरूम सुख, संगीत, नाट्य आदि में लाभ चाहते हैं उन्हे ओपल धारण करना चाहिए । जिन लोगो को वात रोग, कफ, वीर्य दोष, गुप्तांग रोग, गुप्त रोग, मधुमेह, प्रोस्टेट, कान के रोग, अण्डकोष, टान्सिल, स्त्री का मासिक धर्म आदि रोगो से पीडित है उन्हे आपल पहनने से लाभ होता है ।