पुखराज रत्न – पुखराज गुरू का रत्न है । बृहस्पति देवताओं के गुरू होने के कारण अत्यन्त तेजस्वी ग्रह है । वैसे इस रत्न कोे धारण करने से अनिष्ट होने की संभावना नही होती, क्योंकि गुरू कभी भी किसी का अनिष्ट नही कर सकता । अतः यह रत्न कोई भी, किसी भी समय धारण कर सकता है । फिर भी कुछ ज्योतिषी नियम एवं वर्जनाए हैं इसे धारण करने में । जिन जातकों का जन्म वृष्चिक, मेष, कर्क, मिथुन, कन्या, सिंह, धनु, तथा मीन लग्न में हुआ हो अथवा जन्म कुंडली में गुरू शुभ भावों का स्वामी हो अथवा शुभ भावों में स्थित हो उसे पुखराज पहनने से लाभ होता है । इसके विपरीत यदि तुला, वृषभ, मकर एवं कुंभ लग्न हो और गुरू जन्म कुंडली में छठवें, आठवें तथा बारहवें भाव में बैठा हो अथवा अपनी नीच राशि में स्थित हो, उसे पुखराज पहनने से हानि हो सकती हैं ।
पुखराज धारण करने से लाभ- पुखराज गुरू ग्रह का रत्न माना गया है । पुखराज धारण करने से व्यक्ति को धन, सम्पत्ति, पुत्र सुख, स्त्री सुख, मिलता है । वह शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है । इसके अलावा विद्या लाभ, राजकार्य, धर्मिक कृत्य, आचार्य, प्रकाशक, लेखक, कवि, संसद सदस्य, विधानसभा सदस्य, पिलिया रोग, कफ, खांसी, कुष्ट रोग, त्वचा रोग, यश, मान-प्रतिष्ठा आदि में लाभ के लिए पुखराज धारण किया जा सकता है।
