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ह्दय रोग:-

ह्र्दय रोग और ज्योितिष का संबंध – ज्योतिष मे ह्रदय रोग का विचार पंचम भाव पंचम भाव का स्वाोमी अर्थात पंचमेश, ह्रदय का कारक ग्रह सूर्य उसकी राशि सिंह से किया जाता है । यदि पंचम भाव, पंचमेश, सूर्य, सिंह राशि, सभी शनि, राहू व केतु के पाप प्रभाव मे हो तो ह्रदय रोग की आशंका बनती है
ह्रदय रोग के प्रमुख योग –
1-पंचम भाव मे शनि, राहू या केतु उपस्थित हो और सूर्य शनि की मूल त्र्किोण राशि कुंभ मे हो तो ह्रदय रोग की संभावना बनती है ।
2-चतुर्थ एवं पंचम भाव मे पाप ग्रह उपस्थित हो तो जातक ह्रदय रोग से परेशान हो सकता है ।
3-पंचम भाव मे शनि हो तथा राहू या अन्य् पाप ग्रहो से देखा जाता हो तो जातक ह्रदय रोग से पीडित होता है ।
4-पंचमेश अष्टीम से हो और अष्ट मेश पंचम भाव मे हो तो ह्रदय रोग की संभावना बनती है ।
5-पंचम भाव मे शनि हो तथा षष्ठो भाव मे सूर्य, राहू, केतु के साथ हो तो जातक को ह्रदय रोग होता है ।
6-सूर्य पाप प्रभाव मे हो अथवा पाप ग्रहो की द्रष्टि हो तो ह्रदयघात के योग बनते है ।

क्या है ज्योतिषी उपाय-

1- प्रतिदिन सूर्य भगवान को जल का अर्द्ध दें। रविवार का व्रत करें इस दिन सूर्य भगवान को जल का अर्द्ध देते हुए ओम
घृणिः सूर्याय नमः मंत्र का जाप करें । रविवार का व्रत करें तथा इस दिन नमक रहित मीठा भोजन करें ।
2- किसी विद्धान ज्योतिषाचार्य की सलाह लेकर माणिक्य धारण करें ।
3- तांबे के बर्तन में पानी पींये ।
4- एक कच्ची लहसून का सेवन करें।
5- नियमिति गायत्री मंत्र का जाप करें।
6- आदित्य ह्दय स्त्रोत का पाठ करें तथा नियमित रूप से 43 दिन लगातार तांबे का चैकोर टुकडा जल प्रवाह करें।
7- प्रत्येक रविवार गाय को गुड व गेंहूं खिलावें ।
8- शहद का नियमित सेवन करें ।