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इस नाग पंचमी पर क्या है खास:-

नाग पंचमी पर कैसे करे कालसर्प दोष/पितृदोष शांति । क्या है पितृदोष/कालसर्प दोष के लक्षण ?

मित्रो श्रावण मास कि पंचमी तिथि दिनांक 29-07-2025 को नाग पंचमी का त्यौहार आ रहा है । कालसर्प योगध्दोष कि शांति करवाने हेतु यह दिन उत्तम माना गया है । मित्रो कालसर्प योगध्दोष है क्या? मनुष्य के जीवन में इसका क्या प्रभाव होता है ? इसके निवारण के उपाय क्या है ? इन समस्त प्रश्नों के उत्तर मै आपको सरल एंव आसान तरीको से बताने का प्रयास कर रहा हूँ । जिन जातको कि कुंडली में राहू केतु के मध्य सातो ग्रह अर्थात सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुद्ध, गुरु, शुक्र, शनि आ जाये तो कुंडली में कालसर्प दोष योग बनता है । कुंडली के बारह भावो में इनकी अलग-अलग स्थिति होने से बारह प्रकार के कालसर्प योग बनते है । इसका शुभ-अशुभ दोनों ही प्रकार का फल देखा गया है । यदि आपको स्वप्न में बहता या ठहरा पानी दिखता हो, नाग या सर्प दिखते हों अपने पूर्वज या मरे हुए व्यक्ति दिखाई देते है तो यकिन मानिये आप पिृतदोष से पीडित हैं  अथवा आपकी कुडली में कालसर्प दोष/पितृदोष हैं ।  यह मनुष्य को फर्श से अर्श तथा राजा से रंक बना देता है । कुंडली में राहू केतु कि अशुभ भावो में उपस्थिति परेशानी, चिंता, रोग, कर्ज, भय, आर्थिक समस्या, विघ्न ,बाधा, गृहस्थ तथा संतान सुख में कमी करवाता है स ऐसे व्यक्ति इस दिन कालसर्प योगध्दोष कि शांति करवाते है तो उन्हें अवश्य इसका लाभ मिलता है । किन्तु जो जातक कालसर्प दोष कि शांतिध्निवारण हेतु गयाजी, त्रम्केश्वर, हरिद्वार. उज्जैन अथवा अन्य स्थानों पर जा कर नहीं करवा सकते उन्हें निराश या परेशान होने कि आवश्यकता नहीं है मै  पांच आसान अचूक उपाय बता रहा हूँ जिनको करने से कालसर्प दोष कि शांतिध्निवारण ही नहीं अपितु पितृ दोष से पीड़ित व्यक्तियों को भी चमत्कारिक लाभ होगा दृ

१- नाग पंचमी के दिन नित्यकर्म से निवृत होकर दोपहर 3.00 से 4.30 बजे के मध्य एक चांदी के नाग-नागिन के जोड़े ( जो आप पहले से बनवाकर रख ले ) को पूजा में रख कर उनका पूजन हल्दी चन्दन इत्र से करे । सुगन्धित अगरबत्ती तथा घी का दीपक दिखावे । फिर मेरे साथ मंदिरध्तीर्थ चलो ऐसा बोलते हुए उस जोड़े को एक थाली में रखे साथ ही जल का कलश एंव अन्य पूजन सामग्री रख ले । यह प्रक्रिया करने के बाद सीधे शिव मंदिर चले जाए । जो आप पूजन सामग्री ले गए थे उससे शिवजी का पूजन करे तथा उस जोड़े को जलधारीध्शिवलिंग पर रखते हुए यह प्रार्थना/कामना करे कि हे प्रभु आप यंहा रहे ओर यहीं से हमें आशीर्वाद प्रदान करे । इस दौरान आप यह अवश्य ध्यान रखे कि घर से मंदिर तथा मंदिर से घर आते जाते कोई टोके नही तथा पीछे पलट कर नहीं देखे ।

२- नाग पंचमी से प्रारंभ कर प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष कि पंचमी पर किसी सुयोग्य ब्राह्मण से रूद्राभिषेक करावें ।

३- शुक्ल पक्ष कि पंचमी पर पूजा वाला नारियल लेकर अपने सिर  पर से सातबार एंटी क्लोक घुमाकर जल प्रवाह करें ।

४- शनिवार को नीला कपडा, कांच, चाकू, काले तिल, सरसों  का तेल, कम्बल, सप्तधान यथाशक्ति दक्षिणा के साथ जोशी को दान करे । नियमित केसर का तिलक करे ।

५- शिव मंदिर में बैठकर नमः शिवाय मन्त्र का सवा लाख जप करे ।

यदि उपरोक्त पांचो अथवा इनमे से कोई एक या दो उपाय भी करते हैं तो इस दोष से अवश्य मुक्ति मिलती है ।