नवरात्रि की शुरुआत – अश्विन शुक्ला प्रतिपदा
नवरात्रि सोमवार, 22 सितम्बर 2025 से प्रारंभ हो रही है। यह नौ दिन माँ दुर्गा की उपासना का श्रेष्ठ समय है। पुराणों में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ में होने वाले चार नवरात्रियों में सबसे प्रमुख चैत्र व आश्विन नवरात्रि हैं।
नवरात्रि के प्रत्येक दिन की पूजा विधि
दिवस १ – माँ शैलपुत्री

ध्यान मंत्र: “बन्दे वांछित लाभाय चंद्रार्ध कृते…”
जप मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः”
देवी वृषभ पर आरूढ़ एवं त्रिशूलधारिणी हैं। यह स्वरूप भक्तों को मनोवांछित लाभ प्रदान करता है।
दिवस २ – माँ ब्रह्मचारिणी

ध्यान मंत्र: “दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलु…”
जप मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः”
यह देवी तप और ज्ञान की मूर्ति हैं, जो संयम और वैराग्य बढ़ाती हैं।
दिवस ३ – माँ चंद्रघण्टा

ध्यान मंत्र: “पिण्डज प्रवारारूढा चन्डकोपास्त्र कैर्यूता…”
जप मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघण्टायै नमः”
यह रूप राक्षसों का नाश करने वाली शक्ति का प्रतीक है, जो भक्तों की रक्षा करती हैं।
दिवस ४ – माँ कुष्माण्डा

ध्यान मंत्र: “सुरा सम्पूर्ण कलशं रूधिराप्लुत मेव च…”
जप मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्माण्डायै नमः”
सात भुजाओं वाली यह देवी संसार की विषैली ऊर्जा को संतुलित करती हैं।
दिवस ५ – माँ स्कंधमाता

ध्यान मंत्र: “सिंहासनगता नित्यंत पद्माचिंत कर द्वया…”
जप मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नमः”
माँ स्कंधमाता चार भुजाओं वाली, अपने कंठ पर स्कंद (कार्तिकेय) के साथ करती हैं माँ की उपासना।
दिवस ६ – माँ कात्यायिनी

ध्यान मंत्र: “चन्द्र हासोज्व्यलकरा शार्दूल वर वाहन…”
जप मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायिन्यै नमः”
यह देवी दानवघातिनी शक्ति और अभय प्रदान करने वाली हैं।
दिवस ७ – माँ कालरात्रि

ध्यान मंत्र: “एकवेणी जपा कर्णपूरा नग्ना…”
जप मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः”
यह अंधकारमय रूप राक्षसों के भय को नष्ट करती है और भक्तों को अभय प्रदान करती हैं।
दिवस ८ – माँ महागौरी

ध्यान मंत्र: “श्वेते वषे समारूढा श्वेताम्बरा धरा…”
जप मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यै नमः”
श्वेत वस्त्रों में सजी, शुद्धि और शांति का स्वरूप हैं।
दिवस ९ – माँ सिद्धिदात्री

ध्यान मंत्र: “सिद्ध गन्धनर्व यक्षाद्यैरसुरैर मरैरपि…”
जप मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः”
यह देवी सभी सिद्धियाँ प्रदान करने वाली, सभी भक्तों की रक्षा करने वाली माँ हैं।
पूजा के बाद के सुझाव
- प्रत्येक दिन शुभ स्नान और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- नवमी के दिन कुमारी पूजन करना श्रेष्ठ है।
- नवदुर्गा की उपासना श्रद्धा व विश्वास से करने से ही लाभ प्राप्त होता है।