शनि ग्रह की व्रक्री चाल का प्रभाव-कैसा है शनि का स्वभाव-किस राशि को कैसा करेंगे फल:-
शनि की वक्री चाल आज दिनांक 23 मई, 2021 से शुरू होने जा रही है। शनि मकर तथा कुंभ राशि का मालिक है तथा वर्तमान में गोचरिय शनि मकर राशि पर भ्रमण करता हुआ वक्री हुआ है । शनि मकर राशि में वक्री होकर भ्रमण करेंगा । वर्तमान में धनु, मकर तथा कुंभ राशि पर शनि की साढेसती एवं मिथुन तथा तुला राशि वाले जातकों को ढैया चल रहा है । शनि को ज्योतिष में न्याय का दाता माना गया है । तुला राशि में 20 अंश पर परम उच्च का व मेंष में 20 अंश पर परम नीच का होता है । मंगल तथा सूर्य इसके शत्रु ग्रह है । नपुंसक, वात-श्लेष्मिक, प्रकृति कृष्णवर्ण और वायुतत्व है । यह सप्तम स्थान में बली और वक्रीग्रह या चन्द्रमा के साथ रहने से चेष्टाबली होता है । इससे अंग्रेजी विद्या का विचार किया जाता है । रात में जन्म होने पर मातृ और पितृ कारक होता है । इससे आयु वातरोग, वायु रोग मलबद्धता कब्जियत गठिया पेशाब रोग नाक कान की पीडा, शारीरिक बल, अधिकारी पद, ईश्वर साक्षात्कार ह्दयरोग प्रेतबाधा रक्तचाप उदारता, विपत्ति, योगाभ्यास, प्रसुता, ऐश्वर्य मोक्ष ख्याति नौकरी इंजीनियर एवं मूच्र्छादि रोगो का विचार किया जाता है । समस्त ग्रहों की तरह सप्तम दृष्टि के अलावा तीसरी व दसवीं दृष्टि भी प्राप्त है । शनि एक राशि में 30 माह तक रहता है । कुंडली में शनि शुभ स्थानों पर होने पर जातक को अपार सम्पत्ति एवं मान सम्मान की उपलब्धि करवाता है तो वहीं अशुभ स्थानों में बैठा शनि सब कुछ तहस नहस करवा देता है । कहा जाता है कि शुभ शनि जहां मकान बनवा देता है तो अशुभ होने पर मकान बिकवा भी देता है । शनि को न्याय का देवता भी कहा गया है अतः जो जातक देश, राज्य से गद्दारी करता है । शासन को आर्थिक हानि पहुंचाता है । रिश्वत घूसखोरी करता है अपने अधिनस्थ कर्मचारियोंध् नौकर को अनावक परेशान करता है उसे शनि के कोपा का षिकार होना पडता है । जिन लोगो का शनि उच्च का या स्वराशिगत या मित्र राशि का हो दिशा बल में बलवान हो तो ऐसे लोगो को कसरत स्पोटस सामान ठेकेदारी जंगलात लोहे की वस्तु टीन चद्दर आदि का कार्य लघु उद्योग वकालत मुर्गीपालन बागवानी कायले व लकडी का व्यवसाय स्प्रिट तेल कोयले नेतृत्व तथा नीति निर्धारण से संबंधी कार्य शुभत्व प्रदान करता है।
वक्री शनि किस-किस राशि को प्रभावित करेगा-
मकर राशि, कुंभ राशि तथा धनु राशि पर साढेसाती चल रही है । मकर तथा कुंभ शनि की स्वराशि होने इन राशियों को शुभफल प्रदान करेगा तथा धनु राशि शनि की सम राशि होने से सामान्य फल प्रदान करेगा । वहीं तुला राशि तथा मिथुन राशि पर ढैया चल रहा है । तुला राशि शनि की उच्च राशि होने से शुभफल एवं मिथुन राशि सम होने से सामान्य फल प्रदान करेंगा । शनि की सप्तम शत्रु दृष्टि कर्क राशि पर होने से इस राशि वाले जातको को सावधान रहने की आवश्यकता है ।
उपाय …. कुंडली में जब शनि अनिष्टकारक हो अथवा नीच का हो अथवा गोचर में राशि पर शनि की साढेसाती चल रही हो तो, ऐसी स्थिति में मछलियों को आटे की गोली बनाकर खिलाना, अपने भोजन में से भोजन का कुछ भाग निकाल कर कौओं को खिलाना, काली गाय की सेवा करना लाभप्रद रहता है । शनि के निमित्त दान वस्तुओं में काला कपडा उडद काले तिल तेल लोहे की कोई वस्तु का दान करना शनि के कुप्रभाव से बचाने का सुगम उपाय है साथ ही तेल में अपना मुंह देख कर छायां दान करना भी उत्तम माना गया है । जो जातक नियमित पीपल पेड पर मीठा जल ( जल में शक्कर डालकर ) चढाते हुए ओंम अश्वत्थाय नमः मंत्र का जाप करता रहता हो उस पर शनि की कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहती है । इसके अलावा जातक को अपने कर्मो के प्रति सजग तथा सचेत रहना चाहिए तथा ऐसा कोई कार्य नही करे जिससे परिवार, समाज, राज्य तथा देश हित में न हो । शनि के देवता शिव एवं देवी महाकालिका व इसके अन्य रूप जैसे मरीमाता ( छिन्नमस्ता ) इसके अधिष्ठता हैं । रत्न -नीलम इसका रत्न है । जिन जातको की कुंडली कुंभ, तुला, मकर तथा वृषभ लग्न की हो तथा शनि छठवें, आंठवे पहलें तथा बारवे भाव में न हो ऐसे जातक नीलम धारण कर सकते है । नीलम धारण से पूर्व इसे चैक अवश्य करना चाहिए अथवा किसी विद्धान ज्योतिषाचार्य से सलाह अथवा उसके संज्ञान में लाकर ही धारण करना उपयुक्त रहता है ।
।।ध्यान मंत्र।।
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् ।
छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् ।।
।।जाप मंत्र।।
ओम शं शनैश्चराय नमः