astrosantoshji

भाग्यांक एवं मूलांक अनुसार नाम में परिर्वतन कर बने भाग्यशाली:-

किस अंक के प्रभाव से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जीवन में इनती ख्याती एवं उन्नति प्राप्त की        

             भारतीय अंक ज्योतिष अनुसार हम सब का जीवन अंकों से पूर्णतः प्रभावित है ।  हम अपनी जन्म तारीख एवं समय को नहीं बदल सकते और न ही हम अपने जन्म के समय जन्म राशि और जन्म समय के ग्रहों में हम परिवर्तन कर सकते हैं । परंतु हम अपने मूलांक या भाग्यांक के अनुसार अपने नाम की स्पेलिंग में परिवर्तन करके भाग्यशाली अंक बनाकर उससे लाभ उठा सकते हैं या हमारे व्यापार संस्थान, प्रतिष्ठान, कम्पनी आदि का नाम अंक के अनुसार रखकर लाभ ले सकते हैं। यदि आप अपने मूलांक या भाग्यांक पर अपने नाम को नहीं रख सकते तो उसके मित्रांक पर भी अपने नाम को या अपने प्रतिष्ठानों के नाम रखकर लाभ उठा सकते हैं । अपने मूलांक और भाग्यांक जानने की सरल विधि इस प्रकार है जन्म तारीख का योग मूलांक कहलाता है और जन्म तारीख, महीना और सन् का योग भाग्यांक कहलाता है। जैसे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की जन्म तारीख  17.09.1950 है । अतः जन्म तारीख, महिना एवं सन् का योग करने पर अर्थात 1+7+9+1+9+5+0=32 यानी भाग्यांक 3+2 = 5 है और मूलांक 1+7=8 है अब नामांक बनाने की विधि संक्षेप में दी जा रही है। अंग्रेजी अक्षर के अल्फाबेट, उनके अंक और उनके स्वामी निम्नानुसार  है:-

अंक              स्वामी               अक्षर

1               सूर्य                  AIJOY

2               चन्द्रमा               BKR

3               गुरू                 CGLS

4               हर्षल/राहू            DMT

5               बुध                  EHNX

6               शुक्र                 UVW

7               नेपच्यून/केतु         OZ

8               शनि                 FP

9               मंगल

           हिंदी के अक्षरों को भी अंक शास्त्र के अनुसार नंबर दिए गए हैं। अ से अं अः को 1 से 24 अंक क्रमशः और क ख ग से ह तक 36 अंक क्रमशः दिए गए हैं परंतु प्रचलन में अंग्रेजी अल्फाबेट का प्रयोग अधिकांश होता है।
  1. उपरोक्त उदाहरण में नरेन्द्र मोदी के नाम के अंकों का योग 5 आता है अतः उनके भाग्यांक और नामांक एक ही होने से जीवन में उन्नति हुई। पर योग उनकी जन्म पत्रीका के अनुसार बुध ( 5 अंक का स्वामी बुध है। ) उच्च का होने से यहां 5 अंक अत्यधिक प्रभावशाली होकर उनके जीवन में अत्याशित उन्नति करवाई है। बुद्धिमान, तुरन्त निर्णय लेने में सिद्धहस्त, उर्वर मस्तिष्क, नित नये प्रयोग करना, यात्रा प्रेमी, कुशाग्र बुद्धि, मीठी तथा शुद्ध वाणी, कवि आदि गुण बुध के अंक 5 के प्रभाव से सम्भव हुआ है।
  2. एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हेमामालिनी के नाम के अंकों का योग 3 आता है अतः उनके भाग्यांक और नामांक एक ही होने से जीवन में उन्नति हुई। पर कुंडली में गुरु योगकारी होने से गुरु का अंक 3 लाभकारी सिद्ध हुआ।
  3.  महात्मा गांधी की जन्म तारीख 02.10.1869 है। भाग्यांक 9 और मूलांक 2 है। जब तक गांधीजी एम.के. गांधी लिखते रहे, जिसका संयुक्तांक 7 बनता था, जीवन में परेशानियाॅं, विरोध, मानसिक कष्ट, बाधा उन्हे घेरे रही। किन्तु उन्होंने अपने नाम महात्मा गांधी लिखना प्रारंभ किया। जिसका संयुक्तांक 39 अर्थात 2 बना। अतः इनका मूलांक एवं नामांक दोनों का अंक 2 हो गया । जिसके चलते इन्हें जीवन में यश, कीर्ति, मान-सम्मान तथा सफलता अर्जित कर बहुत उन्नति की। महात्मा गांधी के जीवन पर दृष्टि डालें तो उनके सम्पूर्ण जीवन पर मूलांक 2 के गुणक 4 और 8 का भी स्पष्ट प्रभाव है।
  1. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की जन्म तारीख 26.9.1932 है। उनका मूलांक 8 और भाग्यांक 5 है। अंक 8 शनि का अंक है और अंक 5 बुध का अंक है। शनि और बुध परम मित्र होने से उनमें समन्वय की प्रतिभा अधिक है।
           इसी प्रकार अभिनेता शत्रुघ्नसिंहा, जितेन्द, दिलीप कुमार, जगदीप आदि ने अपने नाम में परिवर्तन कर लाभ उठाया है। अभिनेता एवं फिल्म निर्माता राकेश रोशन अपनी फिल्मों के नाम का पहला अक्षर ’’K’’ से रखते हैं, जैसे किशन-कन्हैया, क्रिश, करण-अर्जुन, कहो न प्यार है, कोई मिल गया आदि। फिल्म इंडस्ट्री में अधिकतर अभिनेताओं ने अपने नाम में या नाम की स्पेलिंग में परिवर्तन कर जीवन में यश, धन कीर्ति आदि की प्राप्ति की है।
          नेपोलियन जब तक अपना नाम NAPOLEAN  BOUNAPATE लिखता रहा। जब तक विजय रहा, जीतता रहा, योजनाएं सफल होती रही पर आगे जाकर BONAPART लिखने लगा परिणास्वरूप सैंट हेलेना में कैद होना पडा ।
           मैने अपने 21 साल के ज्योतिष करियर में कई लोगो के नाम उनके मूलांक, भाग्यांक या मित्रांक पर रखवायें अथवा नाम में परिर्वतन करवाये हैं। जिससे उनके जीवन में तरक्की एवं भाग्योदय में सहयोग हो सके।  यहां में प्रत्येक अंक के व्यक्ति की प्रवृत्ति, स्वभाव आदि के बारे में संक्षेप में जानकारी दे रहा हॅूं:-
अंक  (सूर्य)- इस अंक का अधिपति ग्रह सूर्य है। ऐसे जातक प्रभावशाली, हाजिर जवाब, महत्वांकांक्षी, सत्ता प्रिय, अनुशासित, स्वंय पर विश्वास रखने वाला, शासक, अधिकारी, शूरवीर, चतुर, बुद्धिमान, स्पष्टवादी तथा खान-पान का ध्यान रखकर संयमित रहकर स्वास्थ्य को बनाये रखने वाले होते हैं। दया, सात्विक प्रवृति, विशाल ह्दय और उदार स्वभाव के होते हैं। इनका अत्मबल एवं मनोबल हमेशा ऊंचा रहता है। ये हमेशा दूसरो को प्रेरणा देते हैं। ऐसे जातकों को लोभ, आलस्य, जल्दबाजी से बचना चाहिए। इन्हें क्रोध आता नहीं किन्तु जब ये गुस्सा हो जाते हैं तो अत्यधिक उत्तेजित हो जाते हैं। इन्हें अभिमान का त्याग करना चािहए।
अंक  (चन्द्र)- इस अंक का स्वामी ग्रह चन्द्रम होता है। ऐसे जातक परिवर्तनषील, समयानुसार स्वयं को ढााल लेने वाले, एक योजना अधूरी छोडकर नई योजना की ओर चल देने वाले, सहनशील, भावुक, कला-पे्रमी होते हैं। माता और मित्रों के प्रति सहानुभूति रखते हैं। इन्हे जलाशय, झरना तालाब आदि पसन्द होता है। वे ही वस्तुएं आईस्क्रीम अधिक पसंद करते है। उनको आलस्य, लापरवाही, शंकशीलता से बचना चाहिए। उन्हें आत्मविश्वास बढ़ाना चाहिए। चन्द्र की चंचलता के समान ये लोग परिवर्तनशील होते हैं।
अंक  (गुरू)- इस अंक का स्वामी गुरु होता है। अतरू ऐसा व्यक्ति सम्मान प्राप्त करने वाला, धनी, उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाला, मिलनसार, चतुर, विशाल हृदयी सत्य चाहने वाला शांति प्रिय होता है। ये लोग दूसरे पर प्रभाव डालते हैं बोलने में दूसरों से अलग होते हैं। जीवन में माता-पिता का प्रेम सुख पाकर वह भाग्यशाली होते हैं। उपदेश देना, समाज सेवा करना, लेखन कार्य धार्मिक संस्कारी होते हैं और दूसरों का उपकार भूलते नहीं है। ये कल्पनाशील होते हैं और उनका बात करने का लहजा आकर्षक होता है। वे झूठ बोलने से दूर रहते हैं व दूसरों को अपने जैसा अच्छा मानते हैं और धोखा खाते हैं।
अंक  (हर्षल/राहू)- इस अंक का स्वामी हर्षल/राहू होता है। यह सूर्य का (ऋणात्मक) अंक भी है। ऐसे जातक नई राह बनाने वाले होते हैं। रूढिवादिता से भिन्न होते हैं। साहसी, अभिमानी एवं आडम्बरप्रिय होते हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन में आश्चर्यजनक कार्य करते हैं। इनके जीवन में उथल-पुछल ज्यादा देखी जाती है। यह एक विस्फोटक अंक है।  इनके मित्र स्थाई होते हैं। ये मौज-मस्ती में जोवन व्यतीत करते हैं और धन जोड़ने में विश्वास नहीं करते हैं। स्पष्टवादिता, स्वतंत्र चिंतन आसानी से किसी को मित्र नहीं बनाते हैं। इन्हे दुर्घटना से बचना चाहिए। गृहस्थ जीवन में शांति कम रहती है।
अंक  (बुध)- इस अंक का स्वामी बुध है।  ऐसे व्यक्ति बुद्धिमान, अनुसंधान प्रिय, संगीत प्रेमी, होशियार होते हैं। इनका बोद्धिक स्तर उच्च लेवल का होता है।  वे मिलनसार, कुशाग्र बुद्धि और यात्रा के शौकीन होते हैं। लेखक, वकील, प्रोफेसर, व्यापारी, कर सलाहकार, चार्टर्ड उकाउंटेंट आदि  बुद्धि प्रधान क्षेत्र पसन्द करते हैं। इस अंक के छात्र काॅमर्स विषय लेकर अच्छी सफलता हासिल करते हैं।  ये लोक तार्किक होते हैं तथा तर्क से काम लेते हैं और सरल स्वभाव के कारण उनके साथ विश्वासघात हो सकता है। सावधानी रखें।
अंक  (शुक्र)- इस अंक का स्वामी शुक्र है। इस अंक से प्रभावित व्यक्ति अच्छी जीवनी शक्ति के धनी होते हैं। इस अंक वाली स्त्रियों के बाल घुंघराले, काले अथवा भूरे होते हैं। ये अत्यन्त आकर्षक होती है। संसार के सुन्दरतम पुरूष और सुन्दरतम नारियाॅं इसी अंक के अन्तर्गत आती है। ऐसे व्यक्ति कला प्रेमी, सौंदर्य चाहने वाले, भाग्यशाली होते हैं। विवेकी, नम्र, संवेदनशील होते हैं। संगीत, काव्य, कला, मनोरंजन में ये अपना समय देते हैं। भौतिक सुख के ये आदी होते हैं। श्रंगार, सजावट में रुचि, इनका आकर्षक चेहरा, सुंदर वस्त्र दूसरों को आकर्षित करते हैं। इनको अपने परिश्रम से अधिक लाभ होता है। वे सौंदर्य प्रिय होने से सौंदर्य प्रसाधनों और विलास में अधिक धन व्यय करते हैं।
अंक  (नेपच्यून/केतु)- इस अंक का स्वामी केतु/नेपच्यून है। इस अंक के जातकों को समझ पाना बहुत कठिन है। यह अंक अनेक गुप्त प्रभाव छिपाये हुए हैं । इनकी दृष्टि भेदक एवं प्रभुत्वमयी होती है। ये कला प्रेमी एवं अध्ययनशील होते हैं। ये एकान्तप्रिय होते हैं। अपनी प्रशंसा सुनने के शौकिन होते हैं। प्रेम सम्बंधों में ये गम्भीर होते हैं।अयह संतोषी सौम्य और कल्पना प्रिय होते हैं भाग्य पर अधिक विश्वास करते हैं और खोजी प्रवृत्ति के होते हैं यह भाग्यवादी और परोपकारी होते हैं। अपने भाव को छिपा नहीं पाते। यात्रा अधिक करना होती है । ये अधिकतर चिंता से ग्रस्त रहते हैं। जीवन में संघर्ष वैमनस्य एवं अनबन इन्हें निराश बना देती है इससे इनका स्वास्थ्य क्षीण हो जाता है।
अंक  (शनि)- इस अंक पर शनि का प्रभाव रहता है। इस अंक वाले व्यक्ति जीवन में बडे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। इन्हें संघर्ष करना पडता है फिर भी समाज अपेक्षित मान्यता नहीं देता इसलिए ये एकाकीपन का अनुभव करते हैं। ऐसे व्यक्ति सहनशील, विद्वान, परोपकारी, परिस्थिति के अनुसार ढलने वाले होते हैं। इनको समझना कठिन होता है। अंतरमुखी होने से अपने मन की बात प्रकट नहीं करते हैं वे एकांत प्रिय, चिंतनशील होते हैं। वे परिश्रम से धन लाभ करते हैं। नौकरी भी लाभकारी है। इनकी कार्य प्रवृति शनै-षनै करने की होती है। लोहा, मशीनरी, बीमा आदि का व्यापार पसंद करते है। इन्हें दीर्घकालिक रोग होने की संभावना बनी रहती है। जिगर, श्वांस प्रणाली, वात रोग, रक्त विकार, मूत्र रोग होने की अधिक संभावना बनती है। ऐसे जातकों को समय पर रोग का ईलाज करवा लेना चाहिए ।
अंक  (मंगल)- इस अंक का स्वामी मंगल होता है। यह अंक सेवा एवं शक्ति का प्रतीक होता है। ऐसे व्यक्ति साहसी मेहनती और शारीरिक शक्ति वाले होते हैं। ये खेलकूद में आगे रहते हैं। वे निडर स्पष्टवादी, और स्वाभिमान प्रिय होते हठग्राही होने के कारण कभी-कभी घाटा होता है। उनमें काम वासना अधिक होती है। उसका लाभ स्त्रियां उठाती हैं और उन्हें ठग सकती हैं। वे दूसरों की सहायता करते हैं। ये घूमने फिरने के शौकीन होते हैं । यद्यपि इन्हें यात्रा में दुर्घटना एवं चोट लगने की आषंका रती है परन्तु यात्रा से लाभ ही होता है। इन्हें उदर-विकार, आग सेजलना, मूत्र प्रणाली में विकार, ज्वर, शस्त्रों और अग्नि से विशेष भय रहता है । विस्फोटक सामग्री तथा पटाखों से दूर रहना चाहिए। भाई-बहनों का सुख अल्प तथा यश नहीं मिलता है।
          अंक शास्त्र की व्याख्या विस्तृत है। यहां सभी अंको का विस्तृत वर्णन किया जाना संभव नहीं है।