लहसुनिया रत्न– लसुनिया केतु ग्रह का रत्न है । ज्योतिष शास्त्र में केतु को छाया ग्रह माना गया है । जिन व्यक्तियों की कुंडली में केतु की स्थिति केन्द्र /त्रिकोण में हो अर्थात केतु प्रथम, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम तथा दशम भाव में हो तो लहसुनिया धारण करने से लाभ हो सकता है ।
लहसुनिया धारण करने से लाभ– जब भी बने बनाए काम में अडचन पडे, चोंट, दुर्घटना का भय बने, उन्नति के सभी मार्ग बन्द हो, संतान संबंधी पिडा या कष्ट हो तो लहसुनिया अवश्य धारण करना चाहिए । जब भी जन्म कुंडली के अन्दर आपकी परेशानी का कारण केतु बने तो लहसुनिया धारण करना सहायक सिद्ध होता है । लहसुनिया धारण करने से पूर्व किसी विद्धान ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लें ।
