ज्योतिष शास्त्र अनुसार जन्म कुंडली में ग्रहों की युति, दृष्टि सम्बंध एवं उनकी भावों में उपस्थिति कई प्रकार के शुभ-अशुभ योग का निर्माण करती है । उन्हीं योगों में से एक योग है “अगारक“ योग । जन्मकुंडली में मंगल और राहु की युति अर्थात एक ही भाव में दोनो एक साथ हो तो उसे “अंगारक“ योग कहते हैं । यह एक अशुभ योग है जो कुंडली के जिस भाव में बनता है उसे तो पीडित करता ही है किन्तु अपने से सप्तम भाव अर्थात सामने वाले भाव जंहा पर उसकी दृष्टि पड रही है उसे भी पीडित करता है । कई जातको की कुंडली में यह योग घातक सिद्ध होता दिखाई दिया जिससे जातक के जीवन में विपदा, दुर्घटना, विवाद, फंसाद, कोर्ट कचहरी, कर्ज, आॅपरेशन, गृहस्थ, कलह आदि परेशानियाॅं परिलक्षित होते दिखाई दी ।
आप स्वयं भी अपनी जन्म कुंडली से यह जान सकते है कि, क्या आपकी कुंडली में भी अंगारक योग बन रहा हैं ? आप उक्त कुंडली चार्ट दी जा रही है । उस चार्ट में एक से बारह अंक दिये गये हैं, ये बारह भाव है । इन बारह भावों में मंगल-राहू एक साथ बैठे हैं । यह अंगारक योग है । आपकी कुंडली में उस स्थान पर कोई भी अंक हो सकता है। आज मैं आपको बताता हॅूं कि ये अंगारक योग बारह भावों में क्या-क्या परेशानी /नुकसानी पहुंचा है –
1-प्रथम भाव-जिस भी जातक के इस भाव में अंगारक योग बनता हैं उसे सीर में चोंट तथा चोंट का निशान,क्रोध,पीलिया रोग,मानसिक पीडा आदि परिलक्षित होते हैं । 2-द्वितीय भाव-इस भाव में अंगारक योग होने से वाणी दोष अर्थाात झल्लाकर तेज बोलना, झूठ बोलना, कुटुम्ब से मतभेद, जीवन में अचानक धन हानि आदि परेशानियों से गुजरना पडता है ।
3-तृतीय भाव-इस अंगारक योग होने से भाई-बहनों के सुख में कमी, पुरूषार्थ तथा पराक्रम करने मे परेषानी, आलस्य, सीधे हाथ में परेषानी रोग, कष्ट आदि की संभावना बनती है ।
4-चतुर्थ भाव- चतुर्थ भाव में अंगारक योग होने से गृहस्थ सुख में कमी, माता सुख में कमी या वैचारिक मतभेद, ह्दय रोग, जनता से मधुर सम्बंधो में कमी, कलह, मन संताप परिलक्षित होते हैं ।
5-पंचम भाव- इस भाव में अंगारक योग होने से विद्या, संतान, प्रेम सम्बंधो आदि को लेकर परेषानी देखी जाती है ।
6-छठवें भाव- इस भाव में अंगारक योग बनने से शत्रु परेशानी, धन चोरी, रोग, माता पक्ष को परेषानी तथा खून सम्बंधी पीडा आदि से जातक परेशान होता है ।7-सप्तम भाव- इस भाव में अंगारक योग होने से द्विर्भाया योग बनाता है । दाम्पत्य जीवन सुखमय नही होता । पार्टनरशीप/साझेदारी सफल नही होती । पति-पत्नी में अनबन, कलह, दैनिक खर्च की व्यवस्था में भी परेशानी होती है ।
8-अष्टम भाव- इस भाव में अंगारक योग होने से आयु को लेकर चिंता बनी रहती है । दुर्घटना, सीजर तथा छोटी-मोटी चोंट लगी रहती है । अचानक पैतृक धन के योग भी बनते हैं किन्तु अचानक उस धन के जाने के योग भी बन जाते हैं ।
9-नवम भाव- इस भाव में अंगारक योग होने से भाग्य साथ नही देता, जीवन में तरक्की के कई अवसर हाथ से आकर निकल जाते हैं । पितृदोष, तंत्र-मंत्र तथा वहम में पड जाते हैं । ईष्वर तथा पूजा पाठ में विश्वास नही आदि परेशानियों का सामना करते हैं।
10-दशम भाव- इस भाव में अंगारक योग होने से पिता तथा राज्य पक्ष से हानि । व्यापार-व्यवसाय में बाधा, बार-बार नौकरी बदलना, आर्थिक परेशानी आदि परिलक्षित होती है।
11-एकादश भाव- इस भाव में अंगारक योग होने से, लाभ में कमी, मित्रों से धोखा, गर्भपात, संतान में विकलांगता,अनैतिक आय,व्यक्ति चोर,कपटी धोखेबाज होते हैं। 12-द्वादश भाव- इस भाव में अंगारक योग होने से पांव के रोग, बिस्तर सुख में कमी, भोगी, कामी आदि हो सकते हैं।