ह्दय रोग:-

ह्र्दय रोग और ज्योितिष का संबंध – ज्योतिष मे ह्रदय रोग का विचार पंचम भाव पंचम भाव का स्वाोमी अर्थात पंचमेश, ह्रदय का कारक ग्रह सूर्य उसकी राशि सिंह से किया जाता है । यदि पंचम भाव, पंचमेश, सूर्य, सिंह राशि, सभी शनि, राहू व केतु के पाप प्रभाव मे हो तो ह्रदय रोग की […]
मंगल दोष

प्राय पंडितो/ज्योतिषी से यह सुना होगा कि आपके लडके अथवा लडकी की कुंडली में मांगलिक दोष है अथवा रिश्ता करने से पूर्व कुंडली का मिलान किया जाता है और ज्योतिषी द्वारा बताया जाता है कि लड़का/लडकी मांगलिक है । कुंडली देखकर कैसे बतलाया जाता है कि कुंडली में मंगल दोष है ? मै आपको बतलाता […]
क्या है काल सर्प योग

शास्त्रों मे राहु केतु को सर्प माना गया है । सर्प का मुख राहु तथा पूंछ को केतु कहा गया है । मनुष्य का जब जन्म होता है तब पूर्व जन्मो के कर्मो अर्थात प्रारब्ध के अनुसार ही जन्म कुंडली मे अलग-अलग भावो मे नवग्रह बैठते है एवं अलग-अलग ग्रहो के साथ संयोग बनाते है, […]
पितृदोष/पितृ ऋण

मनुष्य के पूर्व जन्म के कर्मो के फल भी उसके साथ ही जुडे रहते हैं । एक कहावत प्रचलित है-’बाढे पूत बाप के धर्मा।’ अर्थात पिता द्वारा जो धर्म किया जाता है उसका लाभ पुत्र को मिलता है। तो स्वभाविक है कि यदि पिता अच्छा कर्म करेंगे तो उसका अच्छा फल पुत्र भोगेगा और यदि […]
अंक एवं न्यूमेरोलाॅजी

अंक ज्योतिष अपने आप में एक पुरातन, सर्वाधिक प्राचीन और सर्वाधिक नवीन एवं पूर्ण विकसित विज्ञान है । इसका मूल आधार व्यक्ति की जन्म तारीख होती है । भारतीय ज्योतिष में कई पद्धतियाॅं प्रचलित है । अंक ज्योतिष मूलतः भारतीय धरातल पर उत्पन्न हुआ है । परन्तु यह फला-फुला विदेशों मे है और इसका प्रचार-प्रसार […]